तेरे इंतेज़ार में यूँ लम्हे बीते है
जैसे सादिया सिमट गये कुछ पलों में
दिल की धड़खाने बँध पढ़ गयी
उदार की साँसों ख़तम होने पे है
खामोश मंज़र के बीच में मैं
घूम्शुदा अकेले खो गये हूँ जैसे
गहरे सॅनाटॉ में आसूओ की चीखें ऐसे
दीवानगी चरम सीमा पे है
मौत तो एक बार ही जान लेती है
यहाँ तो दर्द में तड़पना भी काम है
एक इलतेजा है खुदा से..
मेरे एक दुआ कबूल कर लो…
पथर का बना दो इस जिस्म को…
रूह उसके दिल में बसा दो…
उसके साथ ज़िंदगी हो…
और उसका प्यार हर खुशी हो…
Pic Credits: http://indianexpress.com/article/lifestyle/life-style/karma-sutra-what-is-love/
nice one
Thanks so much
superb..post
Thank you
Intezaar is poignant. Very nicely writtem
Thanks so much Amrita
Bahut badhiya!
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